भाषाओं को ज्ञान का सेतु बनने में सहायता करनी चाहिए: उपराष्ट्रपति
उपराष्ट्रपति श्री एम वेंकैया नायडू ने कहा है कि भाषा सुशासन में सहायता कर सकती है क्योंकि सूचना और ज्ञान मिलकर एक प्रबुद्ध नागरिक का निर्माण कर सकते हैं। श्री नायडू आज हैदराबाद में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा के 16वें वार्षिक दीक्षांत समारोह को संबोधित कर रहे थे। इस अवसर पर तेलंगाना के उपमुख्यमंत्री श्री मोहम्मद महमूद अली, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, चेन्नई के उपाध्यक्ष, श्री एच हनुमंतप्पा, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा आंध्र प्रदेश और तेलंगाना के अध्यक्ष, श्री बी ओबिया और अन्य गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित थे।
इस अवसर पर, उपराष्ट्रपति ने कहा कि हिंदी ने भारत की एकता, अखंडता और भाषाई सद्भावना के विकास में ऐतिहासिक भूमिका निभाई है। उन्होंने कहा कि देश के एकीकरण के लिए अधिकांश भारतीयों द्वारा बोली जाने वाली भाषा से अधिक शक्तिशाली घटक कोई नहीं है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि वर्ष 1936 में दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा का कार्यालय विजयवाड़ा में स्थापित किया गया था और इस सभा के अध्यक्षों के रूप में, श्री कोंडा वेंकापापैया पंतलु, आंध्र केसरी श्री तुंगतुरी प्रकाश पंटुलु, श्री बेजवाड़ा गोपालरेड्डी, स्वामी रामानंद तीर्थ ने शानदार कार्य किया। उन्होंने कहा यह जानकर बेहद हर्ष हो रहा है कि हिंदी प्रचार सभा ने सिर्फ हिंदी का प्रचार-प्रसार ही नहीं किया बल्कि बड़ी संख्या में हिंदी अध्यापकों, अनुवादकों एवं प्रचारकों को तैयार किया है।
उपराष्ट्रपति ने कहा कि दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, आंध्र एवं तेलंगाना आज अपना 16वाँ दीक्षांत समारोह मना रही है और उन्होंने गाँधी जी की पंक्तियाँ को भी याद किया जिसमें उन्होंने कहा था कि कोई भी देश सच्चे अर्थों में तब तक स्वतंत्र नहीं है, तब तक वह अपनी भाषा में नहीं बोलता है।
उपराष्ट्रपति ने हिंदी में राष्ट्रभाषा विशारद और राष्ट्रभाषा प्रवीण की डिग्री प्राप्त करने वाले सभी विद्यार्थियों को बधाई दी।