लावारिस लाशों को ‘कफ़न’ एवं अंतिम संस्कार में मदद देता है ‘बरेली विकास मंच’
अजय अग्रवाल अपनी टीम के साथ लगे हैं समाजसेवा में
बरेली। मन में सेवा का जज्बा हो तो राह अपने आप ही बनती चली जाती है। कहानी सम्राट प्रेमचंद ने कभी तत्कालीन परिस्थितियों को उजागर करते हुए ‘कफन’ कहानी को लिखा था। परिस्थितिवश् उसके बाद आज भी समाज में बहुत से अभागे लोग लावारिस घोषित हुए और उनके शव को चील कौवे खाते रहे या पुलिस प्रशासन की उदासीनता के कारण लावारिस शवों को पोस्टमार्टम के बाद बरेली की रामगंगा एवं अन्य नदियों में फेंकने का सिलसिला यों ही चलता रहा। जिसको देख कभी बीजेपी के नगर अध्यक्ष रहे अब समाजसेवी अजय अग्रवाल का मन व्यथित हुआ और बरेली में ऐसी लावारिस शवों को ‘कफन एवं अंतिम संस्कार’ कराने का विचार उनके मन में आया। जिस पर उन्होंने अपने साथियों के साथ विचार करके ‘बरेली विकास मंच’ नामक संस्था का गठन किया। अब तक लगभग 5100 से अधिक लावारिस शवों का विधिवत् अंतिम संस्कार उनके धर्म के अनुसार करा चुके हैं। भाजपा के दो बार नगर अध्यक्ष रहे एवं साहूकारा के सभासद रहे। रामपुर बाग निवासी अजय अग्रवाल आज से 20 वर्ष पूर्व बंदरों को चना खिलाने हर बृहस्पतिवार को रामगंगा जाया करते थे। जहां लावारिस शवों को रामगंगा में फेंकते देखकर उनका मन विचलित हुआ और उन्होंने तभी से ठान लिया कि ऐसे लावारिस शवों को वह कफन एवं अंतिम संस्कार कराने के लिए अपनी तरफ से पूरी मदद करेंगे। क्योंकि ऐसे शव राम गंगा में नहा रहे लोगों से टकरा जाते थे और उन लोगों मन में अजीब सी वितृष्णा उत्पन्न हो जाती थी। इसी सब बातों को ध्यान में रखकर उन्होंने ‘बरेली विकास मंच’ का गठन वर्ष 1998 में किया और उसका पंजीकरण कराकर सात लोगों का एक ट्रस्ट बना दिया। जिसमें आये धन से वह पिछले 23 वर्षों में पांच हजार से अधिक शवों का अंतिम संस्कार कराने हेतु शमसान घाट को धनराशि देते रहे। इसी क्रम में ‘बरेली विकास मंच’ गठित होने के बाद उन्होंने बरेली के तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बी. के. मौर्य से भेंट कर अनुरोध किया कि जिले में जो भी लावारिस लाशें मिले उसकी सूचना उनकी संस्था को भी दी जाये ताकि ऐसे लावारिस शवों का अंतिमसंस्कार उनके धर्म के अनुसार विधिवत् हो सके। जिस पर बरेली पुलिस अधीक्षक बी. के. मौर्य ने जिले के सभी थानों को 29 नवंबर 1998 को आदेश जारी किये जो भी लावारिस शव मिले उसका वारिस नहीं मिलने पर पोस्टमार्टम के उपरांत उसकी सूचना बरेली विकास मंच को दी जाये ताकि उसका अंतिम संस्कार शमसान घाट पर विधिवत् हो सके। इसके लिए श्री अजय अग्रवाल ने शमसान घाट को भी सूचित करा दिया कि अंतिम संस्कार की राशि ‘बरेली विकास मंच’ उपलब्ध करायेगा। इसी तरह यही नहीं अन्य धर्मों के लिए भी संस्था का गठन कराकर उसके द्वारा भी शवों को अंतिम संस्कार हेतु धन उपलब्ध कराते रहे।
श्री अजय अग्रवाल ने बताया कि आजकल ‘बरेली विकास मंच’ संस्था में उनके साथ सर्व श्री ज्ञानेंद्र शर्मा, सचिव, शंकर लाल शर्मा कोषाध्यक्षऔर शैलेन्द्र अग्रवाल उपाध्यक्ष, डा. आर पी गुप्ता, कपिल वैश्य सीए एवं अश्वनी जी ट्रस्टी के अलावा 200 सदस्य वर्तमान में हैं। जो अपनी क्षमतानुसार धनराशि उपलब्ध कराते रहते हैं ।एक अनुमान के अनुसार प्रतिवर्ष 150 से 200 लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने में 4-5 लाख रुपये का सहयोग करते हैं। यहीं नहीं पूर्व में बरेली में किन्नरों के आंतक से मध्यम वर्ग को मुक्ति दिलाने हेतु शासन प्रशासन को ज्ञापन देते रहे ताकि ‘किन्नरों’ को उनकी जायज हक भी मिल जाये। किन्नरों द्वारा अनाप-शनाप राशि मांगने से मध्यमवर्ग परेशान होता है और कभी अप्रिय घटनाएं भी घटित होती रहती हैं। बरेली विकास मंच बेसहारा बुजुर्गों के लिए गढ़ मुक्तेश्वर, उ.प्र में श्रीराम महाराज अग्रसेन वृध आश्रम में बुजुर्गों को रखने की व्यवस्था करा दी है जहां भी धनराशि उनके द्वारा सुलभ कराई जाती है। इसके साथ वह बरेली में कई गरीब बुजुर्गों की मदद हर माह कुछ नकद राशि देकर भी करते हैं ताकि उनके भोजन आदि की व्यवस्था बनी रहे। यह क्रम पिछले 21 वर्षों से निरंतर चल रहा है। नगर के प्रमुख सर्राफ अजय अग्रवाल बताते हैं कि भगवान शिव एवं राम के आशीर्वाद से ही 23 वर्षों में “बरेली विकास मंच” अपनी जगह अब उस स्थान पर पहुंच गया है कि हर लावारिस शव की सूचना शमसान घाट या बरेली विकास मंच पर पहुंच जाती है और वह उसका अंतिम संस्कार की व्यवस्था करा देते हैं। लावारिस शवों को कफन एवं अंतिम संस्कार करने से उन्हें आत्मिक संतुष्टि भी मिलती है। राजनीति में वह जब तक रहे फैले भ्रष्टाचार एवं अन्य चीजों से उनका मन खिन्न हो गया था जिसके बाद भी उन्होंने समाजसेवा की राह पकड़ी और आज उनकी संस्था बरेली में अलग पहचान बना चुका है। इनके पुत्र शैलेन्द्र अग्रवाल अपने सर्राफा की दुकान पर बैठते हैं। श्री अजय अग्रवाल के भाई प्रेमप्रकाश अग्रवाल बरेली शहर विधानसभा सीट से कांग्रेस टिकट पर चुनाव भी लड़ चुके हैं। परंतु उन्हें सफलता नहीं मिली। अजय अग्रवाल का पूरा परिवार शिवभक्त है और उनके परिवार में अलखनाथ मंदिर परिसर में गोवर्धन पर्वत उठाने वाली भगवान श्रीकृष्णलीला संबंधित एक मंदिर भी बनवाया है।
बरेली से निर्भय सक्सेना की रिपोर्ट !