Bareilly-UP : बरेली और रामपुर में रसूखदारों ने कब्जाई वन विभाग की जमीन
बरेली। वन संरक्षण के दावों और नियमों को रसूखदारों ने रौंद डाला। बरेली और रामपुर के 15 रसूखदारों ने संरक्षित वन भूमि पर अवैध रूप से रास्ते बना लिए, लेकिन वन विभाग के अधिकारी मौन रहे।
विधानसभा में कैग की रिपोर्ट पेश होने के बाद खलबली मची है। इन रसूखदारों ने वन विभाग से बगैर अनुमति अपने प्रतिष्ठानों तक आने-जाने के लिए वन भूमि पर रास्ता बना लिया, लेकिन न तो वन विभाग ने कोई आपत्ति जताई और न ही कोई कानूनी कार्रवाई की गई।
बरेली में प्रेम प्रकाश गुप्ता, सचिन कुमार, प्लाईवुड कारोबारी उमेश नैमानी, रमन, अनिल, रामेश्वर दयाल कठेरिया, महताब सिद्दीकी और भगवान सिंह बिष्ट ने अवैध रूप से वन भूमि का उपयोग किया। वहीं रामपुर जिले में राशिद खान, शफीक, अरमान, पप्पू, जितेंद्र सिंह, अजय सैनी, शजीर और अनिल कुमार जैन पर यह आरोप लगा है।
वन विभाग की कैग रिपोर्ट में यह भी खुलासा हुआ कि लखीमपुर और बरेली में पौधरोपण योजनाओं में गड़बड़ियां की गईं। उत्तर खीरी में जहां 20 हेक्टेयर क्षेत्र में पौधरोपण होना था, वहां 473 हेक्टेयर में किया गया। इसी तरह, दक्षिण खीरी में 241.5 हेक्टेयर के सापेक्ष 1413.172 हेक्टेयर में यानी 1171.672 हेक्टेयर अधिक पौधरोपण दिखाया गया। बरेली में बिना चिह्नित किए 42 हेक्टेयर क्षेत्र में 2016-17 से 2018-19 के बीच पौधरोपण कराया गया, जबकि नियमानुसार यह अवैध है।
वन विभाग से सवाल किया गया, तो उन्होंने तर्क दिया कि उद्यमियों ने संरक्षित वन भूमि पर कोई निर्माण कार्य नहीं किया है, बल्कि केवल सार्वजनिक रास्तों का उपयोग किया है। हालांकि, कैग ने इस जवाब को खारिज करते हुए कहा कि यह भारतीय वन अधिनियम, 1927 का उल्लंघन है और सरकार की मंजूरी के बिना ऐसा नहीं किया जा सकता।
बरेली में 2020-21 से 2021-22 के बीच नर्सरियों में उनकी क्षमता से अधिक पौधे उगाए जाने का मामला सामने आया। यहां 11 हेक्टेयर क्षेत्र में 14 नर्सरियों की कुल क्षमता 35.2 लाख पौधों की थी, लेकिन 45.5 लाख पौधे उगाए गए।
वन विभाग ने इसे “अतिरिक्त पौधरोपण लक्ष्य” का कारण बताया, लेकिन लेखा परीक्षा ने इस स्पष्टीकरण को नकारते हुए कहा कि पौधशालाएं निर्धारित मानकों के अनुसार संचालित नहीं की जा रही हैं।
गोपाल चंद्र अग्रवाल संपादक आल राइट्स न्यूज़