Bareilly-UP : एडवोकेट अमेंडमेंड बिल-2025 के खिलाफ सड़क पर उतरे वकील
बरेली। एडवोकेट अमेंडमेंड बिल-2025 को लेकर घमासान शुरू हो गया है। उत्तर प्रदेश बार काउंसिल के नेतृत्व में अधिवक्ता विरोध में उतर आए हैं। शुक्रवार को बरेली में अधिवक्ता सड़कों पर आ गए। राष्ट्रपति को संबोधित एक मांग पत्र, ज़िला प्रशासन को सौंपा है। इसके साथ ही 25 फरवरी को आंदोलन का ऐलान किया है।
यूपी बार काउंसिल के अध्यक्ष शिव किशोर गौड़ और उपाध्यक्ष अनुराग पाण्डेय ने जिलों की बार एसोसिएशन को पत्र भेजकर एडवोकेट अमेंडमेंट बिल पर विरोध दर्ज कराने का निर्देश दिया है। इसी क्रम में यहां वकीलों का विरोध शुरू हो गया।
शुक्रवार को बरेली बार एसोसिएशन के अध्यक्ष एडवोकेट मनोज कुमार हरित, सचिव वीरेंद्र कुमार और यूपी बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष शिरीष मेहरोत्रा के नेतृत्व में वकील कलेक्ट्रेट पहुंचे औरबिल पर अपनी चिंताएं रखीं।
यूपी बार काउंसिल ने जिला बार एसोसिएशन को भेजे पत्र में कहा कि विधि का शासन बनाये रखने के लिए निर्भीक व स्वतंत्र न्याय के तंत्र का होना अति आवश्यक है। अधिवक्ता न्याय के रथ का पहिया माना जाता है व उसे ऑफिसर ऑफ द कोर्ट का दर्जा प्राप्त होता है।
जब पूरे देश का अधिवक्ता समाज एडवोकेट प्रोटेक्शन एक्ट की राह जोह रहा था, तब एडवोकेट अमेंडमेंड बिल-2025 में इन संशोधनों का कोई जिक्र तक न होने से वकीलों में मायूसी की लहर छा गयी है।
इन संशोधनों से वकीलों की सर्वोच्च संस्था भारतीय विधिज्ञ परिषद को केन्द्र सरकार द्वारा बाध्यकारी निर्देश देने के प्रावधान से पूरी संस्था की स्वतंत्रता खतरे में आ गयी है। शासन की नियत या निर्देशन जो भी हो, वह सर्वोच्च संस्था को पंगु बनाने के लिए एक खतरनाक शुरूआत है।
भारतीय विधिज्ञ परिषद में पांच नामित सदस्यों का प्रावधान संस्था में अनावश्यक व किसी साजिश की ओर संकेत करता है। साथ ही स्पेशल पब्लिक ग्रीवांश रेडेशियल कमेटी द्वारा परिषद के सभी सदस्य व पदाधिकारियों पर पांच सदस्यीय कमेटी का शिकंजा रखा गया है।
इस कमेटी में परिषद का सिर्फ एक सदस्य है, इसमें न्यायाधीशों का बहुमत रखा गया है। यह संशोधन स्वतंत्र संस्था पर कुठाराघात है, इससे आम अधिवक्ताओं के हित की रक्षा कर पाना परिषद के लिए असंभव है।
इस भयावह काले कानून के विरोध में पूरे देश का अधिवक्ता लामबंद हो गया है। यह संशोधन आम जनता की न्याय की आस को भी धूल धूसरित कर देगा। मांग है कि वकील व उनके परिवार के लिए प्रोटेक्शन एक्ट लाया जाये, परिषदों के निर्वाचित सदस्यों के अलावा कोई समाहित न किया जाये व उनके लोकतांत्रिक स्वरूप को यथावत रखा जाये।
पूर्व में नियम बनाने का जो अधिकार एडवोकेट्स एक्ट में प्रावधानित था, उसको उसी प्रकार रखा जाये। अधिवक्ता मांग करते है कि बिल तुरंत वापस लिया जाये, अन्यथा अधिवक्ता पूरे देश में इस लड़ाई को लड़ने को बाध्य होंगे।
21 फरवरी को शांतिपूर्ण ज्ञापन प्रदर्शन उपरांत 25 फरवरी को सुबह 10 बजे से शाम 5 बजे तक ट्रेजरी व रजिस्ट्री कार्यालय का घेराव करेंगे तथा किसी भी डीड राइटर को बैनामा करने की अनुमति नहीं देंगे
गोपाल चंद्र अग्रवाल संपादक आल राइट्स न्यूज़