Bareilly-श्री गुरू तेग बहादुर साहिब के शहीदी पर्व को श्रद्धा पूर्वक मनाया गया*

बरेली नौंवे गुरू साहिब श्री गुरू तेग बहादुर जी के शहीदी पर्व को आज गुरुद्वारा दूख निवारण (संजय नगर) में बरेली की संगत ने श्रद्धापूर्वक मनाया गया ।

दीवान की आरम्भता से पूर्व सुबह 7 बजे विभिन्न गुरुद्वारों से आने वाली प्रभात फेरिओ का स्वागत संगत ने किया। दीवान की आरम्भता अखण्ड कीर्तनी जत्थे ने आसा की वार का कीरतन कर की । नौजवान कीर्तनिये गुंतास सिंघ ने शबद *धरम हेत साका जिनि कीआ सीस दीआ पर सिररु न दीआ* नानकमत्ता साहिब से आये हेड ग्रन्थी गिआनी लखविंदर सिंघ ने इतिहास बताते हुए कहा:- कश्मीरी पंडित की फरियाद पर गुरू तेग बहादुर साहिब ने अपना शीश बलिदान कर दिया। 11 दिसम्बर सन1675 औरंगजेब की ईन न मानने पर गुरु जी के शीश को धड़ से अलग कर दिया गया। तेज आंधी आई जिससे लोगो की आंखे धूल से भर गई, वहा अंधेरा छा गया , भगदड़ मच गयी। उस भीड़ में से भाई जैता जी गुरु जी के शीश को उठा कर आनंद पुर साहिब ले गए, जहां पर गुरु गोबिन्द सिंघ जी ने शीश का संस्कार किया। दिल्ली के व्यापारी लखी शाह वंजारा’ ने साथियों की सहायता से गुरु जी के धड़ को अपने घर ले जाकर गुरु जी के शरीर का संस्कार अपने घर में ही कर दिया। हजूरी रागी भाई लवजीत सिंघ ने शबद:- *जउ तउ प्रेम खेलण का चाउ, सिर धरि तली गली मेरी आओ।* *गुरु तेग बहादुर स्वांग रचायंग।जह आपन सीस दे जग ठहरायंग।* गायन किया। पंथ प्रसिद्ध रागी *भाई सुखप्रीत सिंघ खालसा (अमृतसर साहिब)* ने गुरबाणी कीरतन द्वारा संगत को निहाल किया, उन्होंने ने गुरू साहिब की महिमा का शबद *”जगत मै झूठी देखी प्रीति। अपने सुखु सिओं सभ लागे, क्या दारा क्या मीत”* व शहादत को प्रणाम करते हुए शबद:- *”सूरा सो पहिचानिये जो लरै दीन के हेत, पुरजा-पुरजा कटि मरै कबहूं न छाडै खेतु”* शिरोमणि गुरुद्वारा प्रबंधक कमेटी (अमृतसर साहिब) के प्रचारक ज्ञानी अजीत सिंघ ने गुरू तेग बहादुर जी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए बताया :- कि सिक्खों के पहले गुरू गुरू नानक देव जी ने *जनेऊ जबरदस्ती पहना नहीं* व नौंवे गुरू गुरू तेग बहादुर साहिब ने औरंगजेब द्वारा किये जाने वाले हिन्दुओं के जनेऊ उतारने, जबरन इस्लाम कबूल करवाने एवं अत्याचार के विरोध में दिल्ली चांदनी चौंक पर शहादत दी गुरू तेग बहादुर साहिब जी गुरबाणी में समझाते हैं *”भय काहू को देत नहि, नहि भय मानत आन”* गुरू नानक साहिब की बाणी को *”मारिया सिक्का जगत मै नानक निर्मल पंथ चलाइआ”* को चरितार्थ किया, बाद में दशम पिता गुरू गोबिन्द सिंघ ने *खालसा पंथ की स्थापना की।* कार्यक्रम का संचालन एम. पी. सिंघ ने किया अध्यक्ष कुलदीप सिंघ पन्नू ने संगत का धन्यवाद किया। इस अवसर पर अमरजीत सिंघ, परमजीत सिंघ, मालिक सिंघ, हरनाम सिंघ, राजेन्द्र सिंघ, विक्की बग्गा, कँवलदीप सिंघ, बिजेन्दर सिंघ, गजेंद्र सिंघ, सुरजीत सिंघ, हरबंस सिंघ कुलदीप सिंघ, मनजीत सिंघ नागपाल आदि का सहियोग रहा। *सारी संगत ने गुरू का लंगर छका* इस अवसर पर *सिक्ख मिशनरी कालिज* बरेली का विशेष सहियोग रहा। *आई.एम.ए. ब्लड बैंक* की टीम ने पहुंच कर सिक्ख संगत को खून दान की प्रेरणा दी बहुत सारी सिक्ख संगत ने मानवता की सेवा करते हुए ब्लड डोनेट किया। *साहिबजादों की शहादत को समर्पित *बाल खालसा मार्च 25 दिसम्बर* को जनकपुरी से मॉडल टाउन तक निकाला जायेगा।

 

 

बरेली से अमरजीत सिंह की रिपोर्ट !

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