Bareilly News : जनपद न्यायालय बरेली में हिंदी दिवस के उपलक्ष में कार्यक्रम का आयोजन
सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग-बरेली
बरेली, 14 सितम्बर। जनपद न्यायाधीश अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री विनोद कुमार के दिशा निर्देशन में समस्त न्यायिक अधिकारियों ने कार्यक्रम में हिस्सा लिया और अपने अपने विचार प्रस्तुत किया। जिला जज ने अपने संबोधन में कहा कि हिन्दी दिवस पिछले 67 सालों से 14 सितंबर के दिन हर साल मनाया जाता है। इसी दिन हिन्दी भाषा को संवैधानिक रूप से भारत की आधिकारिक भाषा का दर्जा मिला था। उन्होंने कहा कि दो सौ साल की ब्रिटिश राज की गुलामी से आजाद होने के बाद भारतीयों ने सपना देखा था कि एक दिन पूरे देश की एक ही भाषा होगी, जिसके जरिए देश के कोने-कोने में वाद-संवाद होगा। संविधान निर्माताओं ने देवनगरी में लिखी हिन्दी भाषा को देश की भाषा के रूप में स्वीकार किया।
नोडल अधिकारी लोक अदालत अपर जिला अध्यक्ष श्री अरविंद कुमार यादव ने कहा कि भारत दुनिया में सबसे ज्यादा विविध संस्कृतियों वाला देश है। उन्होंने कहा कि धर्म, परंपराओं और भाषा में इसकी विविधता के बावजूद यहां के लोग एकता में विश्वास रखते हैं। हिंदी भारत की सबसे प्रमुख भाषा है। दुनियाभर में हिंदी भाषा चौथी सबसे अधिक बोली जाने वाली भाषा है। भारत में विभिन्न भाषाएं बोली जाती हैं, लेकिन सबसे ज्यादा हिंदी भाषा बोली, लिखी व पढ़ी जाती है। वर्ष 1949 में हिंदी को हमारे देश में सर्वोच्च दर्जा प्राप्त हुआ और तब से हिंदी को हमारी राष्ट्रभाषा माना जाता है।
कार्यक्रम में सिविल जज शिवानी चौधरी ने हिंदी दिवस के अपने संबोधन में कहा कि हिंदी को 14 सितंबर 1949 को भारत की राष्ट्रीय भाषा के रूप में अपनाया गया तब से हिंदी भाषा को एक उच्च दर्जा प्राप्त हुआ और इसी उपलक्ष्य में हम प्रत्येक वर्ष 14 सितंबर को हिंदी दिवस मनाते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदी एक इंडो-आर्यन भाषा है, जिसे देवनागरी लिपि में भारत की आधिकारिक भाषाओं में से एक के रूप में लिखा गया है। उन्होंने कहा कि श्री राजेंद्र सिंह, श्री हजारी प्रसाद द्विवेदी, श्री काका कालेलकर, श्री मैथिलीशरण गुप्त और श्री सेठ गोविंद दास गोविंद जैसे लोगों ने हिंदी को भारत की आधिकारिक भाषा बनाए जाने के पक्ष में कड़ी पैरवी की थी। उन्होंने कहा कि भारतीय संविधान के आधार पर, अनुच्छेद 343 के अनुसार, हिंदी को आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाया गया था। उन्होंने कहा कि हमारी मातृभाषा हिंदी और देश के प्रति सम्मान दिखाने के लिए ही हिंदी दिवस का आयोजन किया जाता है।
समस्त न्यायिक अधिकारियों द्वारा अपने विचार रखते हुए सिविल जज श्री प्रत्यूष प्रकाश ने कहा कि हिंदी दिवस पूरे भारत में बहुत उत्साह और गर्व के साथ मनाया जाता है। शिक्षण संस्थानों से लेकर सरकारी दफ्तरों तक सभी हमारी राष्ट्रभाषा को सम्मान देते हैं। उन्होंने कहा कि इतिहासकारों का मानना है कि हिन्दी विद्वानों द्वारा अपनी महान साहित्यिक कृतियों में प्रयोग की जाने वाली प्रमुख भाषा रही है। रामचरितमानस एक साहित्यिक कृति है जो हिंदी में भगवान राम की कहानी का वर्णन करती है और गोस्वामी तुलसीदास की सबसे महत्वपूर्ण कृतियों में से एक है, जिसे 16 वीं शताब्दी में लिखा गया था। हिंदी सबसे आदिम भाषाओं में से एक है जो मूल रूप से संस्कृत भाषा से संबंधित है। अतीत से, हिंदी एक भाषा के रूप में विकसित होकर हमारी राष्ट्रभाषा बन गई है।जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बरेली सचिव श्री सौरभ कुमार वर्मा ने हिंदी दिवस के उपलक्ष में बताया कि वर्ष 1917 में, महात्मा गांधी ने भरूच में गुजरात शिक्षा सम्मेलन में प्रस्तुत एक भाषण में हिंदी के महत्व पर प्रकाश डालते हुए। उन्होंने जोर देकर कहा कि हिंदी भाषा को राष्ट्रभाषा के रूप में इस्तेमाल किया जाना चाहिए और अर्थव्यवस्था, धर्म एवं राजनीति के लिए संचार के रूप में भी इस्तेमाल किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि वर्ष 1881 में, बिहार ने उर्दू को हिंदी के साथ अपनी एकमात्र आधिकारिक राज्य भाषा के रूप में बदल दिया, इस प्रकार, हिंदी को अपनी आधिकारिक भाषा के रूप में अपनाने वाला भारत का पहला राज्य बन गया।
जिला विधिक सेवा प्राधिकरण सचिव श्री सौरभ कुमार वर्मा ने कहा कि हिंदी दिवस कार्यक्रम का आयोजन जनपद न्यायालय सभागार में किया गया, कार्यक्रम में पारिवारिक न्यायालय के प्रधान न्यायाधीश श्री राजेंद्र प्रसाद त्रिपाठी, पारिवारिक न्यायाधीश सुश्री कविता निगम, अपर जिला जज श्री हरेंद्र बहादुर सिंह, श्री अब्दुल कय्यूम, श्री उत्कर्ष यादव, श्री तबरेज अहमद, अपर मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अलका पांडे, साधना गुप्ता, श्री आशुतोष, श्री देवेंद्र कुमार के साथ समस्त न्यायिक अधिकारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम में अधिवक्ता बरेली बार एसोसिएशन के अध्यक्ष श्री अरविंद श्रीवास्तव, सचिव श्री वीरेंद्र प्रसाद ध्यानी समस्त बार पदाधिकारी, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के कर्मचारीगण व पराविधिक स्वयंसेवक उपस्थित रहे।