Bareilly News : बाल श्रम के खिलाफ विधि छात्रों ने किया कार्यक्रम

बरेली, 16 जून। उत्तर प्रदेश राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण लखनऊ के आदेशानुसार तथा माननीय जनपद न्यायाधीश श्री विनोद कुमार के दिशा निर्देशन में विधि छात्रों के इंटर्नशिप कार्यक्रम के संबंध में अपर जिला जज सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण श्री निर्दोष कुमार ने बताया कि 01 जून से शुरू हुए समर इंटर्नशिप कार्यक्रम में विधि छात्रों को अलग-अलग क्षेत्रों में विधिक जानकारियां उपलब्ध कराई जा रही हैं।

विधि छात्रों के ग्रुप ने आज तहसील सदर में प्रशिक्षण प्राप्त करने के पश्चात आम जनता को बाल श्रम अपराध के बारे में जानकारी उपलब्ध कराई। पैरा लीगल वालंटियर श्री शुभम राय के द्वारा सभी विधि छात्रों को बाल श्रम अपराध के संबंध में जानकारी उपलब्ध कराई गई।

छात्रों के ग्रुप में विधि छात्रा महिमा द्वारा आम जनता के बीच जाकर बाल श्रम अपराध को रोकने के लिए जानकारी दी गई, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण के तत्वाधान में विधि छात्रों ने आम जनता को बाल श्रम के बारे में विस्तृत जानकारी उपलब्ध कराई। विधि छात्र वंश दीप द्वारा बताया गया कि अगर व्यावसायिक उद्देश्य से किए जा रहे किसी कार्य के लिए 14 साल से कम उम्र के बच्चे को नियुक्त किया जाता है तो वह बाल श्रम कहलाता है। इसे भारत में गैर कानूनी करार दिया गया है। भारत के संविधान में मूल अधिकारों के अनुच्छेद 24 के तहत भारत में बाल श्रम पर पाबंदी लगाई गई है।

पैरा लीगल वालंटियर श्री शुभम राय द्वारा बताया गया कि यदि कोई नियोक्ता 14 साल से कम उम्र के बच्चों को किसी कार्य पर लगाता है तो ऐसा करने पर उसे दो साल तक की कैद की सजा या जुर्माना या सजा और अधिकतम 50 हजार रुपये तक के जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

यह कानून 14 से 18 साल तक की उम्र के किशोरों को खान के साथ ही अन्य ज्वलनशील पदार्थ या विस्फोटकों जैसे जोखिम वाले कार्यों में रोजगार पर लगाने पर भी दिए जाने का प्रावधान किया गया है। हालांकि यह कानून फिल्मों, विज्ञापनों और टीवी उद्योग में बच्चों के काम करने पर लागू नहीं होता।

अगर 14 से 18 की उम्र वालों से काम लिया जाए, लेकिन इसके अगर काम की समय सीमा तय न हो और रजिस्टर मेंटेन न किया जाए, स्वास्थ्य और सुरक्षा संबंधी उल्लंघन किए जाएं तो एक माह तक की जेल और साथ ही 10 से लेकर 20 हजार रुपये तक का जुर्माना भुगतना पड़ सकता है।

अगर आरोपी ने इस कानून के तहत पहली बार अपराध किया है तो उस पर केवल जुर्माना लगाया जा सकता है। दूसरी बार अपराध में संलिप्त पाए जाने पर नियोक्ता को एक साल से लेकर तीन साल तक की कैद का प्रावधान किया गया है। श्रम विभाग की टीम अक्सर दुकानों, प्रतिष्ठानों में छापे भी मारती हैं। अगर वहां बच्चे किसी भी तरह के काम में संलग्न पाए जाते हैं तो नियोक्ता के खिलाफ कानून, विधि सम्मत कार्रवाई की जाती है।

विधिक जागरूकता शिविर में पैरालीगल वालंटियर शुभम राय के साथ विधि छात्र महिमा, निधि सक्सेना, स्वाति मौर्या, जहान्वी गुप्ता, जहरा बी, चांदनी तिवारी, अखिलेश कुमार, अभिषेक पाल, अंशिका गुप्ता, सवानाज, रीमा यादव, काजल सक्सेना उपस्थित रहे।

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग, बरेली

ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन

 

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