Bareilly News : भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान-इज्जतनगर
बरेली 11 नवम्बर । भारतीय पशु चिकित्सा अनुसधान संस्थान, इज्जतनगर, बरेली, में फार्मर फर्स्ट परियोजना के अन्तर्गत गेहूँ की उन्नतशील प्रजातियॉं एवं उनके वैज्ञानिक उत्पादन की शस्य क्रियाओं पर कार्यशाला एवं गेहूँ के बीज वितरण का कार्यक्रम आयोजित किया गया इस 8 दिवसीय कार्यशाला और बीज वितरण के कार्यक्रम के अर्न्तगत गोद लिये गये आलमपुर ज़फरावाद विकास खण्ड के 5 गॉव कटका रमन, सिंगा, सिरसा, बिछुरिया एवं सहसा तथा मझगवॉं विकास खण्ड के 2 गॉव अखा और बसंतपुर से कुल 270 किसान भागीदारों ने भाग लिया।
इस परियोजना में उपस्थित किसानों को सम्बोधित करते हुए फार्मर फर्स्ट परियोजना के प्रधान अन्वेशक डा. रणवीर सिंह ने वताया कि किसानों की आमदनी बढ़ाने, कुपोषण तथा गेहॅू की प्रति हेक्टेयर उपज बढ़ाने के लिये भारतीय गेहूँ और जौ अनुसंधान संस्थान, करनाल की पॉंच नवीन एवं उन्नतशील प्रजातियॉं जैसे करण वन्दना (डी.बी.डब्ल्लू-187), करण नरेन्द्र (डी.बी.डब्ल्लू-222), करण वेष्णवी (डी.बी.डब्ल्लू-303), करण शिवानी (डी.बी.डब्ल्लू-327) और करण आदित्य (डी.बी.डब्ल्लू-332) का 60 कुन्तल बीज तथा भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान, पूसा, नई दिल्ली की नवीन एवं उन्नतशील प्रजाति एच.आई.-1620 का 2 कुन्तल बीज वितरित किया गया। यह प्रजाति और करण वन्दना लगभग सभी मानकों में एक जैसी है। यह सभी प्रजातियों बरेली की कृषि की जलवायु के लिये अनुकुल हैं।
वर्तमान में इन चयनित गॉवों जो प्रचलित गेहूँ की प्रजातियॉं किसानों द्वारा बोई जा रही है उनका औसत उत्पादन लगभग 40 कुन्तल प्रति हैक्टेयर है लेकिन इस कार्यक्रम के अर्न्तगत चयनित 7 गॉवों के किसानों को बीज वितरण किया गया है सभी गेहॅं की प्रजातियों के उत्पादन की 80 से 85 कुन्तल प्रति हेक्टेयर है। लगभग 270 किसान भागीदारों को 155 एकड़ क्षेत्रफल में गेहूँ की 6 नवीनतम एवं उन्नतशील अधिक उत्पादन वाली प्रजातियों का प्रदर्षन के लिये 62 कुन्तल टी.एल. बीज वितरण किया गया। वितरित की गयी 6 गेहूँ की प्रजातियों में से 4 प्रजातियॉ (डी.बी.डब्ल्लू-187), (डी.बी.डब्ल्लू-303), (डी.बी.डब्ल्लू-327) और (डी.बी.डब्ल्लू-332) वायोफोर्टीफाइट हैं। गेहूँ की बायोफोर्टीफइड प्रजातियों में प्रोटीन, लोहा और जस्ता की मात्रा अधिक होती है जो कुपोषण समस्या के समाधान के लिये बहुत अच्छी है। अगले वर्ष 8 गोद लिये गये गावों की लगभग 10855 एकड़ क्षेत्रफल के लिये गेहूँं का बीज का उत्पादन होगा जो इन सभी गॉवों के लिये भरपूर मात्रा में उपलब्ध रहेगा।
यह सभी प्रजातियॉं अगेती बुबाई के लिये संस्सुत की गयी है। इसके अलावा ये सभी प्रजातियॉं की रोटी बनाने का स्कोर भी अधिक है इस प्रजातियों में पीला, भूरा तथा काला रतुआ, व्हीट ब्लास्ट और करनाल वन्ट बीमारियों के प्रति प्रतिरोधक क्षमता अधिक है। किसानों को लाइन से बोने के लिये सीड ड्रिल के उपयोग का महत्व बताया गया है अभी इन गॉवों में किसान सीड़ ड्रिल से बुबाई नहीं करते है।
इस परियोजना के सह-अन्वेषक डा- मदन सिंह ने किसानों को मिट्टी की जॉंच कराके अधिक पैदावार के लिये जैविक एवं प्रत्येक प्रजाति के लिये वैज्ञानिकों द्वारा संस्तुति की गयी मात्रा को विस्तार से बताया। किसानों को उनकी जोत और फसल चक्र के अनुसार बीजों के वितरण कराया जिससे अगले वर्ष सभी किसानों को अपने सम्पूर्ण खेतों में गेहॅू का बीज बोने के लिये उत्पादन हो जायेगा। किसानों को बीज का महत्व एवं बीज बनाने की वैज्ञानिक विधि बतायी।
कार्यशाला और बीज वितरण कार्यक्रम में फार्मर फर्स्ट परियोजना के फील्ड स्टाफ कुमारी स्मृति वर्गिस (वरिष्ठ शोध अध्येता), श्री अमरनाथ सिंह, फील्ड सहायक और श्री सूर्य प्रताप सिंह, फील्ड सहायक ने सहयोग दिया। इस कार्यक्रम को सफल बनाने में सभी गॉवों के वर्तमान एवं पूर्व प्रधानों ने प्रदर्शन के लिये किसानों के चयन में सहयोग दिया।