Bareilly News : कोरोना/लॉकडाउन Vs ऑनलाइन शिक्षा
जब तक देश का एक भी नागरिक अनपढ़ है,तब तक लोकतंत्र की मंजिल दूर है”~मौलाना आज़ाद !
लॉकडाउन के समय गलियों में बचपन की मिठास को बेचने निकला भारत का भविष्य…कोरोना, गरीबी और मजबूरी का परिणाम। शिक्षा सभी का अधिकार है लेकिन शिक्षा को हर परिस्थिति में हर बच्चे तक पहुंचाने की ज़िम्मेदारी किसकी है? शायद सरकार भूल गई है कि लॉकडाउन में ऑनलाइन पढ़ाई सब हासिल नहीं कर सकते हैं। कमजोर शिक्षा व्यवस्था की पहले से शिकार लोगों की संख्या में कोरोना ने आग में घी डालने जैसा काम किया है। संपन्न परिवारों के बच्चे स्कूल फीस देने में सक्षम हैं वही श्रमिक वर्ग को श्रम के बाद भी फीस जमा करना मुश्किल होता था और अब ये लॉकडाउन में बेरोजगारी होने के बाद मजदूर अपने बच्चों को ऑनलाइन शिक्षा कैसे मुहैया करा पाएंगे?? ऑनलाइन शिक्षा के लिए साधन का अभाव एवं अन्य कारणों से बच्चों के भीतर स्वाभाविक रूप से शिक्षा के प्रति असंतोष की भावना उत्पन्न हो जाती है और वे पूरे शिक्षा तंत्र को कोसने लगते हैं। अगर ये बच्चे अशिक्षित रह गए तो नि:संदेह इसके कारण देश को कई तरह से नुकसान उठाना पड़ सकता है। भविष्य में अपने बचपन को आखिर क्यूं याद करेंगे ऐसे बच्चे ? ✍️
बरेली से हिमांशू अग्निहोत्री “उन्मुक्त ” की रिपोर्ट !