Bareilly News : BJP में टिकट के लिए तीन के बीच मुकाबला बरेली मेयर के चुनाव में BJP को निर्दलीय दांव से घेरेगी सपा
बरेली नगर निगम के चुनाव में मेयर का पद हथियाने के लिए सपा इस बार लीक से हटकर कुछ बड़ा उलटफेर कर सकती है। भाजपा के प्रत्याशी को हराने के लिए पार्टी में अंदरखाने बड़ी रणनीति बनाई जा रही है। इसके तहत पूर्व मेयर डॉ. आईएस तोमर निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में भाजपा को पटखनी देने उतर सकते हैं और डमी प्रत्याशी उतार कर सपा पर्दे के पीछे से उन्हें लड़ा सकती है। उधर, भाजपा में भी प्रत्याशी तय करने की कवायद जोरशोर से चल रही है। सूत्रों के मुताबिक पार्टी में टिकट के तीन प्रमुख दावेदार हैं।
चुनावी विशेषज्ञों का कहना है कि बरेली में भाजपा को कड़ी टक्कर देने के लिए वैसे तो सपा के पास कई उम्मीदवार हैं लेकिन तोमर का कोई तोड़ फिलहाल दिख नहीं रहा। सभी जानते हैं कि डॉ. तोमर के पास मेयर चुनाव लड़ने का लंबा अनुभव है तो उनका अपना जनाधार भी। वैसे भी तोमर को निर्दलीय लड़ना हमेशा रास आया है।तोमर को निर्दलीय चुनाव रास आता है। 2000 के चुनाव में वह निर्दलीय जीते थे। 2012 के चुनाव में सपा ने जब उन्हें पार्टी का सिंबल नहीं दिया तो वह निर्दलीय ही मैदान में कूद पड़े और जीत का परचम लहराया। इसके बाद सपा में शामिल हो गए।
भाजपा सूत्रों के मुताबिक टिकट का मुकाबला तीन दावेदारों के बीच है। एक दिन पहले पार्टी हाईकमान ने स्क्रीनिंग कमेटी को उम्मीदवार के चयन की जिम्मेदारी दी है। सांसद-विधायक, चुनाव प्रभारी, सह प्रभारी, चुनाव संयोजक और महानगर अध्यक्ष वाली स्क्रीनिंग कमेटी ने काम शुरू कर दिया। टिकट के प्रमुख दावेदारों को लेकर चर्चा भी की गई है।
मालूम हो कि भाजपा के मेयर और पार्षद के दावेदार 14 दिसंबर दोपहर 2 बजे तक आवेदन कर सकेंगे। 14 दिसंबर को दोपहर के बाद कोई आवेदन जमा नहीं होगा। सोमवार को रवि स्तोगी और शैल उपाध्याय ने भी मेयर पद के लिए दावेदारी की। अब तक 24 आवेदन मेयर पद के लिए आ चुके हैं।
इस सप्ताह तय होगा भाजपा में मेयर का उम्मीदवार
बरेली। मेयर का टिकट हासिल करने के लिए भाजपा में दावेदारों के बीच जोरदार मुकाबला शुरू हो गया है। दावेदारों ने उम्मीदवार बनने के लिए लखनऊ-दिल्ली में ताकत लगा दी है। स्क्रीनिंग कमेटी इसी सप्ताह 18 तक उम्मीदवार का नाम तय करके हाईकमान को भेज देगी।
सूत्रों का कहना है कि इस बार तोमर यदि सपा से चुनाव लड़ते हैं तो उन्हें वोटों का नुकसान हो सकता है जबकि निर्दलीय खड़ा होने पर सभी जाति और वर्गों का वोट मिल सकता है। इसी बात का ध्यान रखते हुए समाजवादी पार्टी के लोग अंदरखाने रणनीति बनाने में जुटे हुए हैं। हालांकि डॉ. तोमर ने इस बात से इनकार करते हुए कहा है कि वह सपा से जुड़े हुए हैं और पार्टी का निर्णय ही अंतिम होगा। अन्य सपाई चुप्पी साधे हुए हैं।
पिछले चुनाव (2017) में तोमर सपा की ओर से लड़े थे। उन्होंने बीजेपी उम्मीदवार उमेश गौतम को कड़ी टक्कर दी थी। हालांकि महज 12784 वोटों से वह उमेश गौतम से हार गए। उमेश गौतम को 1,39,127 वोट जबकि तोमर को 1,26,343 मत मिले थे।
ब्यूरो रिपोर्ट , आल राइट्स मैगज़ीन