Bareilly News : केन्‍द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्‍थान इज्‍जतनगर

इज्‍जतनगर। केन्‍द्रीय पक्षी अनुसंधान संस्‍थान में कुक्‍कुट पालन द्वारा जनजातीय लाभार्थि‍यों के लिए आर्थि‍क व सामाजिक उत्‍थान परियोजना के अन्‍तर्गत एक दिवसीय प्रशि‍क्षण कर्यक्रम का आयोजन किया गया।

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में उत्‍तराखण्‍ड के उधम सिंह नगर जनपद के खटीमा ब्‍लाक के उलधम गॉंव के कुल 22 किसानों ने भाग लिया, जिनमें 12 महिलाऍं तथा 10 पुरुष शामिल थे।

इस अवसर पर संस्‍थान के निदेशक ने प्रशि‍क्षणार्थि‍यों का स्‍वागत किया तथा अपने सम्‍बोधन में कहा कि बैकयार्ड कुक्‍कुट पालन के लिए संस्‍थान द्वारा विकसित कैरी श्‍यामा, कैरी निर्भीक, कैरी देबेन्‍द्र, गिनी फाउल तथा टर्की आदि विभि‍न्‍न देशी प्रजातियॉं बहुत उपयुक्‍त एवं उपयोगी हैं, क्‍योंकि इनके पालने पर बहुत अधि‍क खर्च नहीं आता।

घर के आस-पास चुगने के साथ-साथ रसोई के बचे हुए खाने से इनका पेट भर जाता है। इससे आर्थि‍क लाभ के साथ-साथ पौषणि‍क सुरक्षा भी प्राप्‍त होती है।

इसके अतिरिक्‍त कुक्‍कुट पालन से जुड़े अन्‍य व्‍यवसायों को अपनाकर भी आर्थिक लाभ कमाया जा सकता है। निदेशक महोदय ने कुक्‍कुट पालन में आने वाली सभी समस्‍याओं का समाधान करने का आश्‍वासन दिया और कहा कि आप संस्‍थान के वैज्ञानिकों से संपर्क कर अपनी कठिनाइयों को दूर कर सकते हैं।

परियोजना के प्रमुख अन्‍वेषक डॉ. एस.के. भान्‍जा, प्रधान वैज्ञानिक ने सभी का स्‍वागत करते हुए बताया कि परियोजना के अधीन जनजातीय क्षेत्रों में वितरित किए गए सीएआरआई द्वारा विकसित प्रजातियों का मांस एवं अण्‍डा उत्‍पादन प्रदर्शन बहुत अच्‍छा पाया गया है। उन्‍होंने उपस्थित किसानों से अपील किया कि घर के पिछवाड़े मुर्गी पालन को और अधिक सघन तरीके से करने की जरूरत है तभी अच्‍छा और अधिक लाभ मिल सकेगा।

परियोजना की सह-अन्‍वेषक डॉ. दिव्‍या ने सभागार में उपस्थित किसानों के साथ-साथ संस्‍थान के निदेशक एवं सभी अधिकारियों तथा कर्मचारियों को स्‍वागत करते हुए परियोजना के प्रमुख उद्धेश्‍यों के बारे में बताते हुए कहा कि कुक्‍कुट पालन एक ऐसा व्‍यवसाय है जिसमें कम जमीन व पूँजी वाले किसान भी इस व्‍यवसाय को आसानी से अपनाकर अपनी आर्थिक एवं सामाजिक स्‍तर को सुधार सकते हैं। कार्यक्रम के अन्‍त में निदेशक महोदय ने सभी प्रक्षिणार्थियों को प्रमाण-पत्र वितरित किया। परियोजना के सह-अन्‍वेषक डॉ. चन्‍द्र देव, प्रधान वैज्ञानिक ने सभी के प्रति आभार प्रकट किया।

गोपाल चंद्र अग्रवाल संपादक आल राइट्स मैगज़ीन

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