Bareilly News :बरेली,हज उमराह में पहने जाने वाले एहराम में सहूलियत

बरेली हज सेवा समिति के संस्थापक पम्मी खान वारसी ने बताया कि हज के मुबारक़ सफ़र में हर अरकान का ध्यान रखा जाता हैं हज के अरकान में एहराम भी शामिल हैं हज की रस्म अदायगी में एहराम पहना जाता हैं

एहराम की शक्ल दो सफ़ेद रंग के कपड़े होते हैं,एक तहबन्द और दूसरा ऊपर ओड़ा जाता हैं।हाजियों की सहूलियत के लिये मुंबई की एक कम्पनी ने एहराम का तहबन्द गोल आकार का बनाया हैं जिसने कोई सिलाई नहीं हैं जो आसानी से तहबन्द की तरह बाँध लिया जाता हैं और आगे से खुला नहीं रहता हैं,इसको हज यात्रा और उमराह यात्रा पर आने वाले आजमीन अपनी सहूलियत के लिहाज़ से इस्तेमाल करते हैं।

बरेली हज सेवा समिति के अध्यक्ष पूर्वमंत्री हाजी अताउर्रहमान ने बताया कि इस्लाम में 9 हिजरी से एहराम बांधने की शुरुआत हुई,9 हिजरी में पैगम्बर ए इस्लाम ने सबसे पहला हुक्म हज के लिये हज़रत अबु बकर सिद्दीक रज़ि अल्लाह तआला अन्हु को दिया 100 से ज़्यादा हुज्जाज हज सफ़र गये उसके दूसरे दिन रसूल अल्लाह ने हज़रत अली शेरे खुदा को घोड़े से भेजकर सबको इत्तेला करवाई की सभी हज सफ़र जाने वाले आजमीन को एहराम पहनना हैं दो सफ़ेद रंग के बिना सिले कपड़े ही हज अरकान में पहने जाएंगे, इस तरह इस्लाम में एहराम पहनने की शुरुआत हुई जो ताक़यामत तक जारी रहेगी।

हज ट्रेनर हाजी यासीन कुरैशी ने एहराम बाँधने का तरीका बताया और एहराम को पहनकर दिखाया।

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