Bareilly News- काज़ी-ए-हिन्दुस्तान मुफ़्ती असजद मियां की सरपरस्ती में दरगाह पर मनाया गया 41वा उर्स-ए-नूरी।
मुफ़्ती -ए-आज़म हिंद हक़ की एक बेबाक आवाज़ थे- मुफ़्ती नश्तर फ़ारूक़ी ! आला हज़रत के छोटे साहिबज़ादे (बेटे) सरकार मुफ़्ती -ए-आज़म हिंद हज़रत अल्लामा मुफ़्ती मोहम्मद मुस्तफ़ा रज़ा ख़ान क़ादरी का 41वा उर्स-ए-नूरी दरगाह ताजुश्शरीया पर दरगाह ताजुश्शरीया के सज्जादानशीन काज़ी-ए-हिन्दुस्तान मुफ़्ती मोहम्मद असजद रज़ा खां क़ादरी (असजद मियां) की सरपरस्ती व जमात रज़ा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सलमान मियां की सदारत में मनाया गया।
जमात रज़ा के राष्ट्रीय महासचिव फ़रमान मियां ने बताया प्रोग्राम दरगाह ताजुश्शरिया के अन्दर कोविड -19 गाइड लाइन का पालन करते हुए चंद उलमा-ए-इकराम की मौजूदगी में हुआ। प्रोग्राम को सारी दुनिया के अक़ीदतमंदों ने घर बैठे ऑनलाइन सुना और ऑनलाइन के ज़रिये कई देशों के लोग जुड़े। जमात रज़ा के प्रवक्ता समरान खान ने बताया उर्स-ए-नूरी का आगाज़ फ़जर की नमाज़ बाद दरगाह ताजुश्शरीया पर क़ुरान ख़्वानी से हुआ। फिर दिन भर दरगाह आला हज़रत और दरगाह ताजुश्शरिया पर मुरीदो व चाहने वालों की हाज़िरी व गुलपोशी का सिलसिला चलता रहा। फिर शाम को मग़रिब की नमाज़ बाद मिलाद की महफ़िल सजाई गई और हुज़ूर ताजुश्शरिया के क़ुल शरीफ़ की रस्म 07:14 मिनट पर अदा की गई। उर्स-ए-नूरी के मुख्य प्रोग्राम का आगाज़ रात 9 बजे क़ारी वसीम ने तिलावत-ए-क़ुरान से किया। नातख़्वा सैय्यद कैफ़ी और मुस्तफ़ा मुर्तज़ा अज़हरी ने नात-ओ-मनक़बत का नज़राना पेश किया। इस मौक़े पर मुफ़्ती अब्दुर्रहीम नश्तर फ़ारूक़ी ने मुफ़्ती -ए-आज़म हिंद को खिराज पेश करते हुए कहा कि उन्होंने अपनी 92 साल ज़िंदगी में हमेशा सच्ची बात कही और बिला किसी डर व खौफ़ के फ़तवा दिया, आपके कई फ़तवे देश दुनिया में चर्चित रहे जिनमें नसबंदी और फ़ोटो के खिलाफ़ दिए फ़तवे ख़ास तौर पर याद किए जाते हैं, जब आप खुद हज पर गए तो उनके पासपोर्ट पर फ़ोटो तक नही लगा था इसके लिए भारतीय हुकूमत ने विशेष छूट दी थी। इसके अलावा उन्होंने लाउडस्पीकर पर नमाज़ के खिलाफ़ भी फ़तवा दिया था आपके हज़ारो फ़तवों का संकलन “फ़तवा मुस्तफ़विया” है। मुफ्ती-ए-आजम हिंद ने दीनी इल्म पर काफी काम किया है, अपनी जिंदगी में लगभग 100 से ज्यादा किताबें लिखी। आप नमाज़ और रोज़े के पाबंद और एक सच्चे आशिक-ए-रसूल थे अल्लाह ताला के कलिम वाली थे। आलम-ए-इस्लाम के एक अजीम रहनुमा और मोअतबार मुफ्ती थे। पूरी दुनिया में आपके फतवे की अहमियत थी आपका तकवा भी बेमिसाल था शरीयत के खिलाफ कोई भी बात गवारा नहीं थी पूरी दुनिया में आपके मुरीद और चाहने वाले मौजूद हैं। उलमा-ए-इकराम और मुफ्तिया-ए-इकराम ने ऑनलाइन तकरीर के मध्यम से सरकार मुफ्ती-ए-आज़म हिंद की ज़िंदगी पर रोशनी डाली। तकरीर का प्रोग्राम देर रात तक चलता रहा। 01:40 मिंट पर सरकार मुफ्ती-ए-आज़म हिंद का 41वा कुल शरीफ़ की रस्म अदा की गई। फातिहा हाफिज अब्दुल सत्तार रज़ा व कारी काजिम रज़ा ने शिज़रा मुफ्ती अफजाल रजवी ने पढ़ा। आखिर में मुफ्ती असजद मियां ने मुल्क से कोरोना खात्मे और कौम की तरक्की व खुशहाली के लिए खुसूसी दुआ की गई। अंत में सलातो सलाम का नजराना पेश किया गया। और एक रोज़ा उर्स-ए-नूरी का समापन हुआ। प्रोग्राम की निजामत मौलाना शम्स रज़ा ने की। आईटी सेल प्रभारी अतीक अहमद हशमती ने प्रोग्राम का सारी दुनिया में ऑनलाइन प्रसारण किया। इस मौके पर हुस्साम मिया, हुम्माम मिया, मुफ्ती आशिक हुसैन, बुरान मिया, मंसूब मिया, मौलाना अब्दुल कादिर, मुफ्ती अफजाल रजवी, कारी काजिम रज़ा, हाफिज अब्दुल सत्तार रज़ा खां, मौलाना शम्स रज़ा खां, मौलाना अज़ीमुद्दीन अज़हरी, मोईन खान, समरान खान, मौलाना निज़ाम, हाफिज इकराम रज़ा खां, डॉक्टर मेंहदी हसन, शमीम अहमद, अब्दुल्लाह रज़ा खां, बख्तियार खां, सैय्यद सैफ अली कादरी, नावेद आलम, गुलाम हुसैन आदि प्रमुख रूप से मौजूद रहें ।
बरेली से मोहम्मद शीराज़ ख़ान की रिपोर्ट !