Bareilly News : शानो-शौकत से पूरा हुआ 15 वाँ उर्स-ए-तहसीनी

बरेली (अशोक गुप्ता )- बरेली आला हज़रत ख़ानदान के बुज़ुर्ग नबीरा-ए-उस्तादे ज़मन, मज़हर-ए-मुफ्ती-ए-आज़म-हिंद, सदरुल उलमा हज़रत अल्लामा मुफ्ती तहसीन रज़ा ख़ाँ साहब रहमतुल्लाह अलैहि का 15वाँ उर्स मुबारक पूरी शानो-शौकत और तहज़ीबो-तमद्दुन के साथ मुकम्मल हुआ। इतवार की दोपहर 12.30 बजे कुल शरीफ हुआ,

जिसके बाद देर शाम तक दरगाह में ज़ायरीन का तांता लगा रहा। कई जगहों पर लंगर का इंतज़ाम किया गया। तमाम तक़रीबात की सरपरस्ती साहिब-ए-सज्जादा हज़रत मौलाना हस्सान रज़ा ख़ां साहब ने फरमाई। इस मौक़े पर सालाना मुस्लिम एजेंडा भी जारी किया गया। उर्स-ए-तहसीनी के तीसरे और आख़िरी दिन मसलक-ए-आला हज़रत कॉन्फ्रेंस हुई। क़ारी नाज़िर रज़ा तहसीनी ने कलाम-ए-पाक की तिलावत से कॉन्फ्रेंस का आग़ाज़ किया। महताब सिब्तैनी, सय्यद आबिद अली, आज़म तहसीनी, नईम तहसीनी और इश्तयाक तहसीनी ने नातो-मनक़बत पेश की। जामिया नूरिया रज़विया के मुदर्रिस डॉ. मुहम्मद शकील मिस्बाही साहब और मौलाना मुख्तार अहमद क़ादरी बहेड़वी की तकरीरें हुईं। उन्होंने मसलक-ए-आला हज़रत और सदरूल उलमा की जिंदगी पर रोशनी डाली और शरीअत पर क़ायम रहने की अपील की। इसके बाद साहिब-ए-सज्जादा के साहिबज़ादे अमान रज़ा ख़ां तहसीनी ने हजरत सय्यद नज़मी मियां साहब का मशहूर कलाम “नारा तकबीर अल्लाहु अकबर” पढ़ा। आख़िर में दरगाह तहसीनी के सज्जादा नशीन एवम तहरीक तहसीने मुस्तफा (टी. टी. एम.) के संस्थापक हज़रत मौलाना हस्सान रज़ा ख़ां नूरी ने ख़िताब फरमाया। उन्होंने सदरुल उलमा की सादगी पर ज़ोर देते हुए कहा कि मसलक-ए-आला हज़रत का काम मुहब्बत के साथ आगे बढ़ाना चाहिए। साहिब-ए-सज्जादा ने कहा कि हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म हिंद की ख़ास मुहब्बत और शफ़क़त हासिल हुई। हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म हिंद ने सदरुल उलमा को गुल-ए-सरसबद क़रार दिया यानि वो फूल जिसे माली सारे फूलों के ऊपर सजाकर रखता है। साहिब-ए-सज्जादा ने कहा कि बुज़ुर्गों ने बदमज़हबों से बचने का तरीक़ा दूध से मक्खी निकाल फेंकना बताया है मगर इसका मतलब यह नहीं कि सारा दूध ही फेंक दिया जाए। उलमा की ज़िम्मेदारी है कि समझा-बुझाकर लोगों को हिदायत के रास्ते पर लाया जाए। आख़िर में उन्होंने दुआ फ़रमाई। कुल शरीफ़ के जलसे और मसलक-ए-आला हज़रत कॉन्फ्रेंस में शिरकत करने वालों में खानदान-ए-आला हज़रत से जानशीन-ए-तहसीन-ए-मिल्लत हज़रत सूफ़ी रिज़वान रज़ा खां साहब, ख़ानक़ाह-ए-तहसीनिया के मोहतमिम हज़रत सुहेब रज़ा ख़ां, साहिब-ए-सज्जादा के साहिबज़ादे सफ़वान रज़ा खां, नबीरा-ए-आला हज़रत मौलाना तस्लीम रज़ा ख़ां साहब, मौलाना उमर रज़ा खां साहब, मौलाना हसीब रज़ा ख़ां साहब, हजरत नजीब रज़ा ख़ां साहब, मुअज्ज़म रज़ा ख़ां, सफ़वान रज़ा ख़ां, नवासा-ए-तहसीन-ए-मिल्लत मौलाना हसन रज़ा ख़ां, मुबश्शिर रज़ा ख़ां वग़ैरह मौजूद रहे। उलमा में मौलाना हनीफ ख़ां साहब, मुफ्ती शहीद आलम साहब, मुफ्ती खुर्शीद मुस्तफा साहब, जामिया तहसीनिया के सदर मुदर्रिस मुफ्ती खुर्शीद मिस्बाही, मुफ्ती ज़ुल्फिक़ार साहब वग़ैरह की ख़ुसूसी मौजूदगी बाइस-ए-बरकत रही। रंग लाई रजाकारों की मेहनत तीन रोज़ा उर्स-ए-तहसीनी को कामयाब बनाने में रज़ाकारों ने दिन-रात मेहनत की। जिस ख़ूबसूरत अंदाज़ में उर्स की तमाम तक़रीबात मुकम्मल हुईं, उन्हें देखकर कहा जा सकता है कि रज़ाकारों की मेहनत रंग लगाई। इतना ही नहीं, उर्स के दूसरे दिन रात का कर्फ्यू हटने से भी बड़ी सहूलियत मिली। इस राहत की वजह से दूसरे दिन होने वाली हुज़ूर मुफ्ती-ए-आज़म हिंद कॉन्फ्रेंस इशा की नमाज़ के बाद तक चल सकी और ख़ूब कामयाब रही। रज़ाकारों में अंजुमन शान-ए-इस्लाम के सदर इरफान तहसीनी, महासचिव सगीरउद्दीन नूरी, ज़की तहसीनी, काशिफ़ तहसीनी, यामीन तहसीनी, अनवार बेग नूरी, वसीम तहसीनी, रईस तहसीनी, अरशद तहसीनी, तनवीर बब्लू, अदीब अहमद, अरहम खां, उमैर खां सुहेल ख़ां, तस्लीम तहसीनी, शाहवेज़ ख़ां तहसीनी वग़ैरह शामिल रहे। कई इलाकों से आई टीमों ने किया लंगर उर्स-ए-तहसीनी के तीनों दिन अक़ीदतमंदों के लिए लंगर जारी रहा। इतवार को उर्स के तीसरे और आख़िरी दिन तो कई इलाकों से आई टीमों ने लंगर का इंतज़ाम किया। इनमें करगैना के मुख्तार तहसीनी की टीम, अहल-ए-आंवला, उमरिया सैदपुर, रहपुरा चौधरी, शिकारपुर, काँकर टोला की टीमों ने लंगर का एहतमाम किया।

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