बजट 2018 : आम बजट की तैयारियां शुरू ,प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संकेत दिया है कि इस बार का आम बजट लोकलुभावन नहीं होगा। उन्होंने कहा, यह एक मिथक है कि आम आदमी सरकार से ‘मुफ्त की चीजों और रियायतों’ की उम्मीद रखता है। पीएम ने एक चैनल को दिए साक्षात्कार में कहा कि उनकी सरकार सुधार के एजेंडे पर आगे बढ़ती रहेगी। वह भारत को दुनिया की ‘पांच नाजुक’ अर्थव्यवस्थाओं से निकालकर एक ‘निवेश की चमकदार जगह’ में तब्दील कर देगी।
जीएसटी पर उन्होंने कहा कि सरकार इस ‘वन नेशन वन टैक्स’ सिस्टम की खामियों को दुरुस्त करने को तैयार है। जीएसटी का विरोध करने वालों पर निशाना साधते हुए कहा कि वे लोग संसद का अपमान कर रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि 1961 में आयकर कानून आने के बाद से उसमें कितने बदलाव करने पड़े। इसी तरह जीएसटी का अभ्यस्त होने में कुछ समय लगेगा।
माना, कृषि क्षेत्र में संकट – कृषि क्षेत्र में संकट पर प्रधानमंत्री ने कहा कि आलोचना न्यायसंगत है और सरकार इससे इन्कार नहीं कर सकती। उन्होंने कहा कि यह केंद्र और राज्य सरकारों की जिम्मेदारी है कि वे किसानों की समस्याओं की पहचान कर समाधान करें।
सरकार और राजनीतिक दल न्यायपालिका संकट से दूर रहें- प्रधानमंत्री ने कहा कि सरकार और राजनीतिक दलों को न्यायपालिका के संकट से दूर रहना चाहिए। न्यायपालिका का इतिहास शानदार रहा है और इसमें बेहद सक्षम लोग हैं। उन्हें न्याय व्यवस्था में पूरा विश्वास है और वे अवश्य ही मिल-बैठकर समस्याओं का समाधान तलाश लेंगे।
मुफ्त की चीज़ें नहीं चाहते लोग – प्रधानमंत्री ने कहा, यह मात्र एक धारणा है कि लोग मुफ्त की चीजें और छूट चाहते हैं. यह पूछे जाने पर कि पहली फरवरी को पेश किए जाने वाले बजट में क्या वह लोकलुभावन घोषणा करने से बचेंगे. इस पर उन्होंने कहा, तय यह करना है कि देश को आगे बढ़ने और मजबूत होने की जरुरत है या इसे “इस राजनैतिक संस्कृति-कांग्रेस की संस्कृति का अनुसरण करना है.”
मोदी ने कहा कि आम जनता ईमानदार सरकार चाहती है. “आम आदमी छूट या मुफ्त की चीज नहीं चाहता है… यह (मुफ्त की चीज की चाहत) आपकी कोरी कल्पना है.”