चाय की प्याली उठाने वाला कैसे बना ज्योतिषी दाती महाराज
चाय की प्याली उठाने से लेकर टेलीविजन चैनलों पर सर्वाधिक लोकप्रिय बाबा बनने वाला दाती महाराज एक 25 वर्षीय युवती से दुष्कर्म के आरोपों के चलते दर-दर फिरेगा, यह किसी ने सोचा तक नहीं था। अगर दाती महाराज के जीवन संघर्ष पर नजर डालें तो यह सब किसी रहस्य-रोमांच सरीखा लगता है।
दाती महाराज ने कुछ ही सालों में चाय की दुकान से लेकर आलीशान जिंदगी तक का सफर तय किया। बचपन में ही सात साल की उम्र में उसके मां-बाप दोनों की मौत हो गई तो वह राजस्थान से दिल्ली आ गया। इसके बाद कोई काम नहीं मिलने पर वह दिल्ली के फतेहपुरबेरी में मदनलाल पंडित नाम से चाय की दुकान चलाने लगा। कुछ समय बाद उसने पटरी-बल्ली और शटरिंग की दुकान खोली, फिर ईंट-बालू तथा सीमेंट की दुकान खोलकर उसमें भी हाथ आजमाया। इसके बाद उसने फतेहपुरबेरी में ही टेंट हाउस खोला और कैटरिंग का काम शुरू कर दिया।
उसकी मुलाकात राजस्थान के एक नामी ज्योतिषी से हुई। इस ज्योतिषी की संगत में मदन ने हाथ देखने का काम बारीकी से सीखा और एक दिन ऐसा भी आया जब उसने जन्मकुंडली देखना भी सीख लिया।
ज्योतिषी बनने के बाद मदन की जिंदगी में बदलाव होने लगा। पैसा तो आ ही रहा था शोहरत भी मिल रही थी। इस बीच एक भविष्यवाणी क्या सच हुई उसकी तो पूरी जिंदगी ही बदल गई। हुआ यूं कि वर्ष 1998 में दिल्ली विधानसभा चुनाव में दाती महाराज ने एक प्रत्याशी की कुंडली देखी और भविष्यवाणी कर दी कि वह जितेगा। भविष्यवाणी सच भी हो गई। प्रतिदान स्वरूप विधायक का चुनाव जीते नेता ने खुशी में फतेहपुर बेरी स्थित अपने पुश्तैनी मंदिर का काम भी दाती महाराज को दे दिया। इसके बाद दाती महाराज की लोकप्रियता बढ़ी तो दौलत भी बरसने लगी।
शिष्या से सामूहिक दुष्कर्म के मामले में फरार दाती महाराज के राजनेताओं और नौकरशाहों से भी संबंध हैं। उसने बड़े-बड़े नेताओं के साथ अपनी फोटो आश्रम समेत पूरी राजधानी में लगवाए हैं। इससे वह अपनी राजनीतिक रसूख दिखाता है। सूत्रों के मुताबिक, दाती महाराज तथा उसके शिष्य अक्सर बड़े नेताओं तक अपनी पहुंच होने की धौंस दिखाकर पीड़िता को पुलिस के पास जाने से रोकते थे, इसीलिए पीड़िता ने दो साल तक सामूहिक दुष्कर्म झेला।