लखनऊ मनकामेश्वर मठ-मंदिर में हुआ नागपंचमी पर अभिषेक

मनकामेश्वर मठ-मंदिर में हुआ नागपंचमी पर अभिषेक
– नौ आचार्यों ने करवाया राहु-केतु की शान्ति के लिए पूजन
– दस यजमानों ने किया विधिविधान से अभिषेक
– गुड़िया पर्व पर गुड़िया पीटने की प्रथा का किया गया प्रतिरोध
– गुड़िया गुड्डे के खेल की प्रथा शुरू की
– करवाया गया गुड़िया-गु़ड्डे का विवाह
लखनऊ। मनकामेश्वर मठ मंदिर में शनिवार 25 जुलाई को नागपंचमी और गुड़िया पर्व मनाया गया। नाग पंचमी पर दस यजमानों ने नाग देवता का पूजन मंदिर परिसर में किया। लॉकडाउन के कारण मनकामेश्वर नदी घाट पर आयोजित सार्वजनिक कार्यक्रम को स्थगित करते हुए समस्त अनुष्ठान मंदिर परिसर में ही किये गए। वहीं शाम को गुड़िया पीटने की प्रथा का कड़ा विरोध करते हुए गुड्डे-गुड़िया का विवाह करवाया गया।
डालीगंज के प्रतिष्ठित महादेव मंदिर मनकामेश्वर मठ मंदिर की महंत देव्यागिरि की अगुआई में सुबह नौ
आचार्यों की मार्गदर्शन में दस यजमानों ने मृदा के प्रथम देव गणपति, कार्तिकेय, नंदी, महादेव और पार्वती के आकार बनाकर उनका विधि विधान से शर्करा, पंचामृत, जल आदि से अभिषेक कर उन्हें लाल, पीले और श्वेत वस्त्र, ऋतु अनुकूल पुष्प, मौसमी फल, रोली, अक्षत, सुगंधित धूप आदि भेंट कर पूजन अर्चन किया। इसमें राहु-केतु की शांति के लिए विशेष पूजन मंत्रोचार के माध्यम से किया गया।
पूजन में नाग-नागिन का जोड़ा भी चढ़ाया गया। इस पूजन में नौ पंडितों की मंडली ने सचिन जायसवाल, सागर चौरसिया, श्रेया श्रीवास्तव, संजय दीक्षित, सौरभ पाण्डेय, अजय कुमार सैनी, दिनेश, रवि सहाय, दिव्या जोशी के माध्यम से अभिषक पूजन का अनुष्ठान संपादित करवाया। पंडितों की मंडली में शामिल आचार्य कृष्णा, शिवराम, रजनीश ने कोरोना मुक्ति और राष्ट्र की सम्पन्नता के लिए भी पूजन किया। इस अवसर पर मनकामेश्वर का प्रतिष्ठित मंदिर “ओम नम: शिवाय औम नम: शिवाय, हर हर भोले नमः शिवाय मनकामेश्वराय” भजन और “हर हर महादेव” जयकारों से गूंज उठा।
गुड़िया पर्व पर सम्पन्न हुआ गुड्डे-गुड़िया का विवाह
गुड़िया पर्व पर गुड़िया पीटने की प्रथा पर कड़ा प्रतिरोध करते हुए महंत देव्यागिरि ने शहर में नई परंपरा का सूत्रपात करते हुए इस दिन गुड़िया और गुड्डों का विवाह करवाया। उन्होंने कहा कि गुड़िया तो बच्चों को व्यवहारिक जीवन के लिए संस्कारित करने का महती कार्य करती है। दूसरी ओर पुरुषों द्वारा उसे गुड़ियों का पीटा जाने की परंपरा भी गलत है।
बेहतर हो कि इस दिन गुड़ियों को पारंपरिक रूप से तैयार कर उन्हें अच्छी तरह सजाया संवारा जाए ताकि गुड़ियों के माध्यम से समाज को संस्कारित करने और बेटियों को सम्मान देने का संदेश जनजन तक पहुंचाया जा सके। इसी विचारधारा के तहत उन्होंने मंदिर परिसर में गुड्डे गुड़ियों का विवाह आयोजित करवाया। महंत देव्यागिरि ने वर पक्ष का दायित्व निभाया वहीं वहीं सेवादार ने उपमा पाण्डेय ने वधु पक्ष का। इस अवसर पर एक से बढ़कर एक सुंदर गुड़ियां देखने को मिली। सेवादारों ने इस अवसर पर विवाह सम्बंधी मांगलिक गीत भी गाए और एक दूसरे को मिठाइयां खिलाकर बधाइयां दीं।
राघवेन्द्र सिंह आल राईट न्यूज़ लखनऊ

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d bloggers like this: