पूर्वोत्तर के 8 राज्य गुजरात में अप्रैल में होने वाले माधवपुर मेले में हिस्सा लेंगे
पूर्वोत्तर और गुजरात की सांस्कृतिक छटा को एक साथ प्रदर्शित करने के इस अवसर को भगवान श्री कृष्ण और रुकमणि के विवाह उत्सव के रूप में मनाया जाएगा : डॉ. जितेन्द्र सिंह
इस वर्ष अप्रैल के पहले सप्ताह में गुजरात में आयोजित होने वाले माधवपुर मेले में पूर्वोत्तर के 8 राज्य भाग लेंगे। पोरबंदर जिले के माधवपुर घेड में यह वार्षिक मेला आयोजित किया जाता है और इस वर्ष यह रामनवमी उत्सव के एक दिन बाद 2 अप्रैल से शुरू होगा।
प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री तथा पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा और अंतरिक्ष, राज्य मंत्री डॉ जितेंद्र सिंह ने आज यहां गुजरात सरकार के वरिष्ठ अधिकारियों की एक उच्च स्तरीय बैठक में भाग लिया और मेले की तैयारियों की समीक्षा की। इस बैठक में उत्तर पूर्वी परिषद (एनईसी) के सचिव, श्री मोसेस चालई और एनईसी के वरिष्ठ अधिकारियों के अलावा अरुणाचल प्रदेश, असम और मणिपुर के रेजिडेंट आयुक्तों / प्रतिनिधियों ने भी भाग लिया।
इस मौके पर डा. सिंह ने अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे पूर्वोत्तर क्षेत्र की कला,संस्कृति, हस्तशिल्प , व्यंजनों और अन्य उत्पादों को माधवपुर के अलावा अहमदाबाद सहित गुजरात के अन्य हिस्सों में भी प्रदर्शित करने के उपाय करें। उन्होंने सुझाव दिया कि पूर्वोत्तर तथा गुजरात के बीच सांस्कृतिक निकटता प्रदर्शित करने के लिए विशेष रूप से एक प्रतीक चिन्ह बनाया जाना चाहिए और भारतीय सांस्कृतिक संबंध परिषद् ,क्षेत्रीय सांस्कृतिक केन्द्रों के साथ ही सूचना और प्रसारण मंत्रालय का संगीत और नाटक प्रभार को राज्य के ऐसे ही केन्द्रों के साथ मिलकर सांस्कृतिक आयोजनों में बढ़ चढं कर भाग लेना चाहिए।
उन्होंने कहा कि माधवपुर मेले के प्रचार के लिए 1 मार्च 2020 से मल्टीमीडिया अभियान चलाया जाएगा। यह आयोजन प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरु किए गए एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियान के तहत गुजरात और पूर्वोत्तर राज्यों के बीच सांस्कृतिक एकता का प्रतीक बनेगा।
माधवपुर मेले का संबंध अरुणाचल प्रदेश के मिशमी जनजाति से है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार भगवान श्रीकृष्ण का विवाह मिशमी जनजाति के राजा भिष्मक की पुत्री रूक्मणि के साथ हुआ था। यह मेला भगवान श्रीकृष्ण और रूक्मणि के विवाह के प्रतीके के रूप में मनाया जाता है। इसका वर्णन कलिका पुराण में पाया जाता है। सप्ताह भर चलने वाले इस आयोजन में पूर्वोत्तर और गुजरात की कला, संगीत,कविता और लोकनृत्यों की अनुपम छटा देखने को मिलेगी।
मेले के दौरान गुजरात के साथ ही पूर्वौत्तर के सभी आठ राज्यों के कला, हस्तशिल्प उत्पाद और हथकरघा उत्पाद प्रदर्शित किए जाएंगे।