जानिये, आखिर क्या है कार्डिएक अरेस्ट,जिसने श्रीदेवी को सुलाया मौत की नींद

shri-devi--2-new

शनिवार की रात दबे पांव आई मौत ने कुछ ही लम्हों में मंजू से चालबाजी करते हुए बॉलीवुड की चादंनी को हमेशा के लिए अपने आगोश में ले लिया । 54 वर्षीय बॉलीवुड अभिनेत्री श्रीदेवी का निधन दुबई में एक होटल के कमरे में हुआ देश के लोगों का इस खबर पर यकीन करना बेहद ही मुश्किल हो गया था । लेकिन परिवार की पुष्टि के बाद पूरे देश में एक गम का माहौल सा छा गया । श्रीदेवी दुबई में भांजे की शादी में गई थी, वहीं उन्हें हार्ट अटैक हुआ और वह दुनिया को छोड़कर चली गईं. शनिवार रात 12 बजे के बाद श्रीदेवी को हार्ट अटैक आया था। हादसे के वक्त उनके पति बोनी कपूर और छोटी बेटी उनके साथ थी।

सूत्रों के मुताबिक, श्रीदेवी की मौत कार्डिएक अरेस्ट की वजह से हुई थी । कार्डिएक अरेस्ट को साइलेंट हार्ट अटैक भी कहा जाता है । कार्डिएक अरेस्ट हार्ट अटैक से अलग होता है। डॉक्टरों के अनुसार, कार्डिएक अरेस्ट में व्यक्ति के जिंदा बचने की संभावनाएं काफी कम होती हैं। दूसरी ओर दिल के दौरे में जान बचने के चांसेस ज्यादा होते हैं। ऐसा इसलिए क्योंकि कार्डिएक अरेस्ट शरीर के सभी अहम अंगों को भी कुछ ही सेकंड में बुरी तरह प्रभावित करता है। वहीं हर्ट अटैक में इसका असर से काफी धीमा होता है।

 

Cardiac-Arrest-new

क्या होता है कार्डिएक अरेस्ट
कार्डिएक अरेस्ट या पूर्णहृदरोध दिल के अंदर वेंट्रीकुलर फाइब्रिलेशन पैदा होने के कारण होता है। कार्डिएक अरेस्ट दिल के दौरे से अलग है, हालांकि ये हार्ट अटैक की वजह हो सकता है. कार्डिएक अरेस्ट में दिल खून पंप करना बंद कर देता है, जिससे अन्य अंगों पर दबाव बढ़ जाता है। उन्हें ऑक्सीजन नहीं मिल पाती. पीड़ित व्यक्ति की सांसे रुक जाती है. कुछ ही सेकंड में एक-एक कर अंग फेल होना शुरू हो जाते हैं, जिससे व्यक्ति की कुछ ही सेकंड या मिनटों में मौत हो जाती है।
यही नही कार्डिएक अरेस्ट के इलाज के लिए मरीज को कार्डियोपल्मोनरी रेसस्टिसेशन (सीपीआर) दिया जाता है, इससे दिल की धड़कन को बनाए रखने और व्यक्ति को सांस लेने में मदद मिलती है। कार्डिएक अरेस्ट के बाद व्यक्ति की जान बचाने के लिए मरीज को ‘डिफाइब्रिलेटर’ से बिजली का झटका दिया जाता है। इससे दिल की धड़कन को नियमित होने में मदद मिलती है।

क्या होता है दिल का दौरा
दिल का दौरा तब होता है जब हृदय की मांसपेशियों को ऑक्सीजन युक्त रक्त का प्रवाह रुक जाता है। ये दिल की किसी धमनी में क्लॉट या किसी अवरोध के कारण हो सकता है। हार्ट अटैक होने पर दिल के भीतर की कुछ पेशियां काम करना बंद कर देती हैं। अधिकांश दिल के दौरे कोरोनरी हृदय रोग (सीएचडी) की वजह से होते हैं। कोरोनरी धमनियों की दीवारें भीतर के वसायुक्त पदार्थ के एक क्रमिक बिल्ड-अप से संकुचित हो जाती हैं। हार्ट अटैक में दिल की धड़कन बंद नहीं होती, लेकिन कार्डिएक अरेस्ट में दिल धड़कना बंद कर देता है. यही वजह है कि दिल के दौरे में मरीज के बचने की उम्मीद ज्यादा होती है।

cpr-new

कार्डिएक अरेस्ट आने पर क्या करे

यदि किसी व्यक्ति को कार्डिएक अरेस्ट हुआ है तो उसे तुरंत सीपीआर दिया जाए। इसमें दोनों हाथों को सीधा रखते हुए मरीज की छाती पर जोर से बार-बार दबाव दिया जाता है।
मुंह के जरिए मरीज को हवा पहुंचाएं। इससे सांस को जारी रखने में मदद मिलती है।
मरीज को इलेक्ट्रिक शॉक देकर रिकवर किया जा सकता है. इसके लिए डिफिब्रिलेटर टूल का इस्तेमाल किया जाता है।
डिफिब्रिलेटर टूल अस्पतालों में आम तौर पर मौजूद होता है. इस टूल के सहारे व्यक्ति को शॉक दिया जाता है, जिससे दिल पंप करना शुरू कर देता है।
दिल के शुरू होते ही खून दोबारा पंप होने लगता है, जिससे मरीज के बचने की उम्मीदें बढ़ जाती हैं।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

%d bloggers like this: