खानक़ाहे नियाज़िया में 2 रोज़ा उर्स इमाम उल मोहिब्बीन

बरेली (अशोक गुप्ता )- सिलसिला-ए-नियाज़िया के पांचवे ताजदार इमाम उल मोहिब्बीन हज़रत शाह मुहम्मद हसन सज्जाद उर्फ हसन मियाँ साहब क़िबला रहमत उल्लाह अलैह का 2 रोज़ा उर्स मुबारक़ अपनी क़दीमी सूफियाना रिवायात के साथ ख़ानक़ाहे नियाज़िया में 09 और 10मार्च बरोज बुध्द और जुमेीरत को मुनअक़िद होगा।

ख़ानक़ाहे नियाज़िया पूरी दुनिया में अपनी अदबी तहज़ीबी सूफियाना रिवायात के लिए जानी जाती है। इसलिए ख़ानक़ाहे नियाज़िया की हर तक़रीब अपनी खुसूसी मज़हबी, रवादारी, मोहब्बत, इन्सानियत का पैगाम अमली शक्ल में पेश करती है। उर्स की पाक़ीज़ा तक़रीबात में शिरकत करके हर शख्स रूहानी, जिसमानी, ज़हनी सुकून हासिल करता है और इसी रौशनी को पूरी इनसानी ब्रादरी को पहुंचाना अपनी अख़लाकी ज़िम्मेदारी समझता है।

उर्स मुबारक का आगाज़ हस्बे रिवाया सुबह फज्ऱ की नमाज़ के बाद कुरआन ख़्वानी से हुआ। इस पाक़ीज़ा महफिल में मदरसा-ए-नियाज़िया के तुलबा ने शिकरत करीे। कुरआन ख़्वानी के बाद ख़ानकाही महफिल खाने में सज्जादा नशीन हज़रत शाह मेहदी मियाँ साहब क़िबला दुआ फरमायी। दोपहर 12 बजे ख़ानकाही लंगर खाने में फातेहा ख़्वानी के बाद लंगर तक़सीम किया गया और उर्स के दोनों दिन ज़ायरीनों के लिए दरगाह की जानिब से खाने और ठहरने का मुफ्त इन्तेज़ाम किया गया है और तमाम सहूलियात का खास ख्याल रखा गया है। ख़ानवाद-ए-नियाज़िया के तमाम साहबजादगान हज़रत सज्जादानशीन साहब के हुक़्म से अपनी-अपनी ज़िम्मेदारियों को बखूबी अन्जाम देने के लिए मुसतैद हैे। देर रात सज्जादानशीन हज़रत शाह मेहदी मियाँ साहब क़िबला मसनद पर तशरीफ लायें और कव्वाल चौकियाँ एक-एक कलाम पेश करें। देर रात कुल शरीफ की रस्म अदा की गयी और मुल्क व कौम के लिए खुसूसी दुआ की गई, तबर्रूक तक़सीम किया गया। हल्क-ए-ज़िक्र के बाद पहले दिन कि तक़रीबात का इख्तेताम हुआ।

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