एकता दिवस पर एक साथ रहने की शपथ
भारत के लोह पुरुष कहे जाने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल के जन्म दिवस के उपलक्ष्य में राष्ट्रीय एकता दिवस मनाया जाता है। सरदार वल्लभ भाई पटेल द्वारा देश को हमेशा एकजुट करने के लिए अनेकों प्रयास किये गए, इन्ही कार्य को याद करते हुए उन्हें श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए इस दिन को राष्ट्रीय एकता दिवस के रूप में मनाया गया।
जनसेवा टीम के अध्यक्ष पम्मी खां वारसी ने कहा कि राष्ट्रीय एकता दिवस किसी भी देश का आधार उसकी एकता एवम अखंडता में ही निहित होता हैं, भारत देश कई वर्षो तक गुलाम था,इसका सबसे बड़ा कारण था आवाम के बीच एकता की कमी होना,इस एकता की कमी का सबसे बड़ा कारण उस समय में सुचना प्रसारण के साधनों का ना होना था,साथ ही अखंड भारत पर कई संस्कृतियों ने राज किया, इस कारण भारत देश में विभिन्न जातियों का विकास हुआ,शासन बदलते रहने के कारण एंव विचारो में भिन्नता के कारण मतभेद उत्पन्न होता गया और देश में सबसे बाद में ब्रिटिश हुकूमत ने राज किया और इन्होने इसी कमी का फायदा उठाकर फूट डालों एंव राज करो की नीति अपनाई, इसी एक हथियार के कारण अंग्रेजों ने भारत को 200 वर्षो की गुलामी करके राज किया इससे जाहिर होता हैं कि देश का विकास, शांति, समृद्धि एंव अखंडता एकता के कारण ही संभव हैं,कौमी लड़ाई देश की नींव को खोखला करती हैं,इससे न निजी लाभ होता हैं ना ही राष्ट्रीय हित,आज भी हम कहीं न कहीं एकता में कमी के कारण ही अन्य देशों से पीछे होते जा रहे हैं,जातिवाद के दलदल में फँसकर हम देश की एकता को कमजोर कर रहे हैं,इस मतभेद को समझ लेने के बाद ही देश के कई महान स्वतंत्रता सेनानियों ने सबसे पहले इस मुश्किल को कम करने की कोशिश की,कई बड़े- बड़े नेताओं ने आजादी के लिए पहले लोगो को एकता का महत्व बताया, इसके लिए आजादी से पहले समाचार पत्रों एवम रेडियो प्रसारण का उपयोग किया गया क्रांतिकारी वीर भले ही जेलों में होते थे,लेकिन उस वक्त अपनी कलम के जोर पर उन्होंने देश में एकता का विकास किया,इसी के कारण हमें 1947 में स्वतंत्रता मिली,वर्तमान में एकता का महत्त्व,किसी भी देश की अर्थव्यवस्था, न्याय प्रणाली यह सभी चीजे तब ही सुचारू हो सकेंगी, जब आवाम में एकता हो और जिस दिन यह व्यवस्था सुचारू होगी उस दिन देश के विकास में कोई कठिनाई नहीं होगी,एकता में सबसे बड़ा बाधक स्वहित हैं आज के समय में स्वहित ही सर्वोपरी हो गया हैं, आज जब देश आजाद हैं आत्म निर्भर हैं तो वैचारिक मतभेद उसके विकास में बेड़ियाँ बनी पड़ी हैं।
जनसेवा टीम के महासचिव डॉ सीताराम राजपूत ने कहा कि आजादी के पहले इस फुट का फायदा अंग्रेज उठाते थे और आज देश के सियासी लोग,हमें यह याद रखना चाहिये कि जिस जगह भी दरार होगी मौका परस्त लोग उसमे अपने लाभ खोजेंगे ही,ऐसी परिस्थती में हमारा ही नुकसान होता हैं।